Friday, May 8, 2020

कोरोना संकट के दौर में प्रकृति खुद को संवार रही है

पूरा विश्व इस समय एक भयंकर महामारी से जूझ रहा है। हर दिन हज़ारों लोगों की मौत कोरोना वायरस से हो रही है।दुनिया के विकसित देशों ने भी इस महामारी के सामने घुटने टेक दिए हैं।ऐसे समय में चारों तरफ से सिर्फ मन को विचलित और दुखी कर देने वाली खबरें ही आ रही हैं।वही एक खबर ऐसी भी है जो हमें थोड़ा सुकून दे सकती है और इस संकट की घड़ी में हमें कुछ सीख भी दे सकती है।

                             फोटो : फोर्ब्स

21वीं सदी की दुनिया यानि पृथ्वी के इतिहास में सबसे तेज गति से दौड़ने वाली जिंदगियां,कभी न रूकने और थमने वाले लोग,कभी खाली नहीं रहने वाली सड़कें, आज सब थम चुके हैं।लोग घरों में कैद हैं,सड़कें खाली हैं और शायद पहली बार इस सदी के लोग अपनी इच्छाएं और अपनी जरूरतों में फ़र्क समझ पा रहे हैं।मानव गतिविधियां जहां थम गई हैं, वहीं प्रकृति जैसे खुद को जीने लगी है।दुनिया भर से आ रही पर्यावरण की खबरों पर हम गौर करें तो पर्यावरण की स्थिति में अद्वितीय सुधार हुआ है।मानव बोझ से दबी हुई प्रकृति जैसे शायद पहली बार इतनी आज़ाद महसूस कर रही है।
नासा की एक रिपोर्ट के मुताबिक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में भारी कमी आई है।

नासा लिंकhttps://svs.gsfc.nasa.gov/4810

दिल्ली जो दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है,लेकिन अभी दिल्ली की हवा बहुत साफ हो चुकी है और आप दिन को बेहद साफ नीले आसमान और रातों को टिमटिमाते तारों को देख सकते है,जो दिल्ली में आमतौर पर नहीं देखने को मिलता था।वायु गुणवत्ता सूचकांक अपने निचले स्तर तक सामान्य की स्थिति में पहुंच चुका है। PM 2.5 और PM 10 की मानकों में भारी गिरावट दर्ज की गई है।  
         स्रोत :Anushree Fadnavis and Adnan                                Abidi/Reuters

अपने शहर के प्रदूषण का हाल यहां देखें - 

सिर्फ दिल्ली ही नहीं,दुनिया के अन्य शहरों में भी इतनी साफ हवा पिछले कई दशकों में नहीं देखी गई थी।प्रतिष्ठित अखबार 'द गार्डियन' में छपे एक लेख के मुताबिक बैंगकॉक में जहां पिछले ही महीने वायु प्रदूषण के कारण स्कूलों में छुट्टी करना पड़ा था, वहां भी अभी वायु प्रदूषण में काफी कमी आ गई है।इसी तरह दक्षिण ब्राज़ील के व्यस्त तटीय शहर साओ पओलो में भी सामान्य जन जीवन बंद है और वहां वायु की गुणवत्ता में अप्रत्याशित सुधार देखने को मिला है।

               सुनीता नारायण (फोटो : द हिन्दू)

'द गार्डियन' के हवाले से पर्यावरणविद सुनीता नारायण कहती है, 'हम नहीं चाहते की लोग ये कहें कि पर्यावरणविद इस महामारी और लॉकडाउन की खुशी मना रहे हैं,हम बिल्कुल ऐसा नहीं कर रहे।हम बस यही कहना चाहते हैं कि देखिये प्रकृति और पर्यावरण को बचाने के लिए हमें कोरोना से निपटने के बाद और अधिक गम्भीरता से काम करने की जरूरत है।'
अलजजीरा में छपे एक रिपोर्ट में कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पृथ्वी विज्ञान के प्रोफेसर जैकसन के मुताबिक हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर इस वर्ष वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में 5% तक की कमी आती है,जो की द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कार्बन उत्सर्जन में सबसे बड़ी गिरावट होगी।प्रोफेसर जैकसन आगे कहते हैं कि, 'लेकिन यह स्थिति एक बुरे कारण की वजह से आई है जहां लाखों लोग एक जानलेवा वायरस के शिकार हो चुके हैं और यह बहुत दुखद है।'



हाल ही में बिहार के नेपाल बार्डर से हिमालय की बर्फ़ीली चोटियां दिखने वाली तस्वीरें भारतीय मीडिया में छायी रही।विशेषज्ञों की माने तो यह बदलाव तभी तक है जब तक हम कोरोना संकट से बाहर नहीं निकल जाते,क्योंकि प्रकृति में आये इस बदलाव के पीछे हमारी किसी योजना और रणनीति का असर नहीं है।कोरोना संकट के बाद फिर से कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होगी और यह वहीं पहुंच जाएगी जहां पहले थी।

इस लॉकडाउन के कारण सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य की तस्वीरें ही नहीं आ रही।लोग जहां इस वक्त घरों में रहने को मजबूर हैं,वहीं जानवरों की कई ऐसी तस्वीरें सामने आई है जो दिल को खुश करने वाली है।
दक्षिणी फ्रांस के करीब भूमध्य सागर के तटों पर व्हेल मछलियों के जोड़े को देखा गया।मार्सिले जैसे व्यस्त तटीय शहर में यह देखा जाना दुर्लभ हो गया था।

आम लोगों के लिए जहां भारत में सड़कें बन्द है वहीं भारतीय वन विभाग के अधिकारी ने कर्नाटक में सड़क पार कर रहे हाथी के एक पूरे परिवार का वीडियो ट्विटर पर साझा किया।यह वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ।
                 फोटो साभार : डक्कन हेराल्ड 

पर्यावरणविद और प्रकृति से प्रेम करने वाले लोगों के लिए ये बातें सुखद हो सकती है, लेकिन पूरा विश्व इस समय एक गंभीर संकट के दौर से गुज़र रहा है।हम सब यही प्रार्थना कर रहे हैं कि मनुष्यता के ऊपर से यह संकट जल्दी गुज़र जाए।इस संकट से उबरने के बाद हमें प्रकृति के प्रति अपने नजरिये में बदलाव लाने की जरूरत होगी।जानवरों और जंगलों को हमने उतनी महत्वत्ता कभी नहीं दी जितनी देनी चाहिए।वक्त कठिन है,गुज़र जाएगा और उम्मीद है लोग ऐसे उदाहरणों को देखकर आने वाले समय में प्रकृति से अधिक प्रेम करेंगे,जानवरों के लिए अधिक संवेदनशील होंगे और उन्हें भी इस पृथ्वी में बराबर की हिस्सेदारी देंगे।

4 comments:

  1. उत्तम लेख। वास्तव में यह लॉकडाउन प्रकृति के लिए वरदान है

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  2. बेहतरीन लेख 👌। आशा है आगे भी आपकी कलम से इस तरह का लेख पढ़ने को मिलता रहेगा 🤗

    आगे लोग अगर नहीं सुधरे तो प्रकृति स्व्यं इन्हें सुधार देगी । यह साल सबक सीखने का साल है।

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अलविदा सुशांत

यार तुम ऐसे कैसे जा सकते हो. तुम इतने लोगों के लिए प्रेरणा थे. तुम्हारा किरदार मेरे लिए बहुत बड़ा प्रेरणा है. एम एस धोनी मूवी के बाद लगने लगा...